कह दो पुकार कर सुनले दुनिया सारी
हम हिन्द तनय हैं हिन्दी मातु हमारी
भाषा हम सब की एक मात्र हिन्दी हैं
शुभ,सत्व और गण की खान ये हिन्दी है
भारत की तो बस प्राण ये हिन्दी हैं
हिन्दी जिस पर निर्भर हैं उन्नति सारी
हम हिन्द तनय हैं..................................
गांधी जी इस मंदिर के हुए पुजारी
हम हिन्द तनय हैं..................................
भारत ने अब इसके पद को पह्चाना
अपनी भाषा बस अब इसको ही माना
इसका महत्व अब सब प्रांतो ने जाना
दक्षिण भारत ,पंजाब ,राजपुताना
सब मिल कर गाते गीत यही शुभकारी
हम हिन्द तनय हैं..................................
सदियो से हमने भेदभाव त्यागे हैं
नवयुग का संदेश पुनः जागे है
फ़िर आयी हे जगत हमारी बारी
हम हिन्द तनय हैं..................................
यह कविता मनोरंजन भारती द्वारा लिखी गयी थी तथा १९३४ मे लाहौर से खरी बात नामक अखबार मे प्रकाशित की गयी थी उपेरोक्त रेकार्डिंग आनलाईन कवि सम्मेलन के समापन के अवसर पर अशोक जी द्वारा सुनाई गयी थी
२ घंटे का संपूर्ण कवि सम्मेलन अतिशीघ्र प्रस्तुत किया जाएगा यदि आप भी भविष्य मे आयोजित होने वाले इन कवि सम्मेलनो मे भाग लेना चाहते है तो hindi_seekho@yahoo.com पर इमेल कर अपना इमेल अड्रेस पंजीक्रत करवा लिजिये
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